Thursday, 27 November 2014

INTERVIEW


I wrote this to kill time and stress while waiting for my turn to be interviewed.



Interview देने आए लोगों के गज़ब नज़ारे है ,
रंग बिरंगी इस दुनिया में तरह तरह के मित्र हमारे है । 
किसी के माथे पर है पसीने की धार और होंठों पर है राम का नाम,
चेहरे का रंग उतरा है यूँ जैसे हो 104 degree बुखार। 
अंदर गए जनाब तो जाने क्या क्या जवाब दिया ,
बहार निकालकर आए तो लगा जैसे पहली बार हो साँस लिया । 
एक ये भी साहब थे जो दूर से हँसते कमाल दिखे ,
tension के इस माहौल में वो बेफिक्री की मिसाल दिखे । 
अंदर जाकर इन्होने खूब ठहाके लगाए होंगे ,
बहार निकले तो लगा अंदर किस्से तो सुनाएं होंगे । 
इनकी भी क्या चर्चा करें जो किताबों में ही खोए रहे  ,
सारा ज्ञान ये दिमाग की जगह बैग में ही ढोए रहे । 
अंदर जाकर इन्होने शायद open book हो test दिया ,
बहार आकर बिफरे यूँ जैसे अंदर इन्होने baddest दिया । 
बहार निकलते लोगों के चेहरों पर अलग अलग जो कहानियाँ है ,
रब जाने इन्ही की अमानत है या interviewer की मेहरबानियाँ है ।